Traditional Marketing और Digital Marketing में क्या फर्क है
Digital marketing और Traditional marketing में सबसे बड़ा फर्क इनके नाम में ही दिखता है । Traditional marketing में ट्रेडिशनल यानी पहले से चले आ रहे मीडिया माध्यमों के द्वारा मार्केटिंग की जाती है । जैसे - अखबार, मैग्ज़ीन, पोस्टर और बैनर । वहीं आज का दौर डिजिटल दौर है, इसमें डिजिटल माध्यमों की मदद से मार्केटिंग की जाती है । जैसे - सोशल मीडिया, वेबसाइड, ऑनलाइन विज्ञापन, टीवी विज्ञापन आदि । लेकिन जब बात सबसे बेहतर चुनने की हो तो अभी डिजिटल मार्केटिंग को लोग पसंद करेंगे जो हर नज़रिए से उनपर फिट बैठे । mariox software pvt. Ltd नोएडा की best Digital Marketing company in noida है जो digital marketing services के साथ seo services भी प्रदान करते हैं ।
ट्रेडिशनल मार्केटिंग
ट्रेडिशनल मार्केटिंग का बहुत पुराना इतिहास रहा है, मार्केटिंग करने के इस तरीके को कंपनियों ने हमेशा ही अपनाया है । इस तरह की मार्केटिंग एक सोची-समझी रिसर्च, लोगों में अपनी पकड़ और ग्राहकों तक सर्विस पहुंचाने की बेजोड़ तकनीक है । ट्रेडिशनल मार्केटिंग बिजनेस कार्ड, खबरों और घोषणाओं के लिए टीवी और रेडियो का इस्तेमाल किया करते हैं और प्रिंट विज्ञापनों के लिए अखबार और मैग्ज़ीन की सहायता लेते हैं ।
डिजिटल मार्केटिग
mariox software pvt. Ltd एक digital marketing agency है जो digital marketing services के साथ कईं सारी दूसरी तरह की सर्विस प्रदान करती है । ट्रेडिशनल मार्केटिंग करते हुए अक्सर आप अपने ग्राहक तक बिल्कुल सीधा पहुंच जाते हैं, जबकि डिजिटल मार्कटिंग करते हुए आप अपने ग्राहक को लक्ष्य बनाकर उनके पास उनकी ज़रूरत और उनकी उम्र के हिसाब से पहुंचते हैं । डिजिटल मार्केटिंग एक ऐसी मार्कटिंग है, जिसमें कंपनी अपने उत्पाद यानी प्रोडक्ट की मार्केटिंग को electronic media के द्वारा प्रमोट करती है । डिजिटल मार्केटिंग करने वालों को अलग-अलग आयोजन यानी कैम्पैन चलाने पड़ते हैं, ताकि उसकी मदद से उन्हें ये पता लगे कि किस उम्र, लिंग और पेशे के लोग उनके उत्पादों को पसंद कर रहे हैं और फिर इसी के हिसाब से सर्विस प्रोवाइडर अपनी डिजिटल मार्केटिंग स्ट्रैेटिजी बनाते हैं । डिजिटल मार्केटिंग में हमेशा अपनी सेवाओं और उत्पादों को जनता तक पहुंचाने के लिए प्रदाता वेबसाइट, सोशल मीडिया और यूट्यूब की मदद लेती है ।
आज के इस दौर में ये दोनों ही मार्केटिंग के तरीके हैं और दोनों ही कामयाब हैं । चलिए जानते हैं कि इन दोनों में क्या फर्क है -
बजट
ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग में लगने वाले बजट यानी लागत में भी फर्क है । इसे अगर एक उदाहरण से समझा जाए तो जो विज्ञापन टीवी और रेडियो, प्रिंट विज्ञापन में अखबारों और मैग्जीन में छपते हैं, उनका बजट बहुत ज़्यादा होता है । लेकिन वहीं अगर online website, social media विज्ञापनों की बात करें तो वो काफी सस्ते होते हैं । ट्रेडिशनल मार्केटिंग विज्ञापन दिखाने में बहुत ज़्यादा पैसा खर्च करते हैं, वहीं internet marketing में ये बजट बहुत ही कम होता है । इसके अलावा डिजिटल मार्केटिंग करने की दूसरी टेक्नीक भी हैं जो इंटरनेट में मुफ्त में भी मिल जाती हैं ।
नतीजे
ट्रेडिशनल मार्केटिंग में बिजनेस में मिलने वाले फायदे के लिए काफी समय का इंतजार करना पड़ता है और कभी कभी तो ये इंतज़ार कईं महीनों का हो जाता है लेकिन वहीं डिजिटल मार्केटिंग में अगर एक बार लाभ मिलना शुरू हुआ तो वो लगातार मिलता ही रहता है ।
ट्रेडिशनल मार्केटिंग में मिलने वाले फायदों का आकलन करना आसान नहीं होता, लेकिन डिजिटल मार्केटिंग में मिलने वाले Return On Investment के नतीजे Google Analytic से हर कोई आसानी से देख सकता है ।
बहुत आसान Analytic
डिजिटल मार्केटिंग में मार्केटिंग के मौकों का हिसाब रखना बहुत आसान होता है । कोई भी Google Analytics की मदद से ये समझ सकता है कि उसके बिजनेस को बढ़ाने में कौन-सी तकनीक कारगर है और कौन-सी फेल हो गई है । इतना ही नहीं भविष्य में आने वाले बदलाव और फायदों के बारे में भी आप जान सकते हैं । लेकिन ट्रेडिशनल मार्केटिंग में ऐसी कोई संभावना नहीं होती । इसमें बिजनेस का आकलन करना आसान नहीं होता ।
कम्युनिकेशन सिस्टम
बिज़नेस की दुनिया में एक बात जग ज़ाहिर है कि - जो दिखता है वो बिकता है, ग्राहक के सामने जो भी होगा, ग्राहक उसे खरीदने को मजबूर होगा । सोशल मीडिया में छाए रहना और Google Search engine review के ज़रिए लोग अपने तजुरबे एक-दूसरे से शेयर करते हैं । Email marketing और social media marketing की मदद से digital marketing अपने ग्राहक से दो तरफा संबंद बना सकते हैं । कम्युनिकेशन सिस्टम ग्राहर और प्रोवाइडर के बीच मज़बूत और गहरे संबंध स्थापित करता है । ट्रेडिशनल मार्केटिंग कम्युनिकेशन करने का एक तरफा ज़रिया होता है, अपने उत्पाद और सर्विस को दिखाना और फिर अपने ग्राहक को उसपर केंद्रित कर देना । जैसे ही आप ग्राहक से जुड़ते हैं, आप उसकी ज़रूरत समझते हैं और उन्हें बेहतर से बेहतर समाधान दे पाते हैं, इससे ग्राहक और आपके बीच संबंध गहरा होता जाता है ।
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